Monday, February 8, 2010
महानुभावों ! आपने महावीर भगवान् के दो भावों के बारे में जाना है । आगे वह मिथ्यात्व के कारण नरक आदि गतियों के दुक्ख उठाते हुए संसार में भ्रमण करता रहा। इससे शिक्षा लेना है कि मरीचि कुमार के सामान मिथ्यात्व में हमें नहीं पड़ना है , क्योंकि मिथ्यात्व सबसे बड़ा दुश्मन होता है।
आर्यिका चंदनामती
जम्बूद्वीप- हस्तिनापुर
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