भगवान् महावीर एक बार शिशु अवस्था में पालने में झूल रहे थे, तब आकाश मार्ग से दो चारण रिद्धिधारी मुनिराज उनके महल में पधारे और तीर्थंकर बालक को देखते ही उनकी शंका का समाधान हो गया अतः मुनिराज ने उनका नाम सन्मति रखा । इस प्रकार महावीर का सन्मति नाम पडा। वे सन्मति भगवान् हम सभी को सद्बुद्धि प्रदान करें। आर्यिका चंदनामती