Thursday, January 28, 2010

भगवान महावीर कैसे बने ?

महानुभावों ! जिस पुरुरवा भील ने मुनि के मुख से धर्म स्वीकार कर स्वर्ग को प्राप्त किया था, वही स्वर्ग से आकर अयोध्या के राजा भरत का पुत्र मरीचि कुमार हो गया। उसने अपने बाबा भगवान् रिषभ देव के साथ दीक्षा धारण कर ली , किन्तु वह भूख -प्यास से व्याकुल होकर पद से भ्रष्ट हो गया और मिथ्या तापसी बन कर उसने अनेक मिथ्या मतों का प्रचार किया।
जिसके कारण वह बहुत समय तक संसार में दुक्ख उठाता रहा।
Aaryika Chandnamati
JAMBUDWEEP

Saturday, January 23, 2010

कैसे बने महावीर ?


एक पुरुरवा नाम का भील जंगल में एक मुनि पर तीर चलाने जा रहा था ,उसकी स्त्री उसे मुनि पर तीर चलाने से रोकापुनः भील ने मुनि के पास जाकर अहिंसा धर्म का उपदेश सुना और उसे जीवन में धारण कियाइसके फलस्वरूप वह आगे जाकर महावीर भगवान् बना
इस कहानी से शिक्षा ग्रहण करना है कि अपने जीवन को आदर्ष बनाने हेतु अहिंसा धर्म को अवश्य धारण करना चाहिए
आर्यिका चंदनामती
जम्बूद्वीप- हस्तिनापुर

Tuesday, January 19, 2010

गुरु भक्ति


ब्राम्ही चंदनबाला जैसी छवि जिनमें दिखती रहती । कुंद कुंद गुरुवर सम जिनकी सतत लेखनी है चलती॥
नारी ने भी नर के सदृश बतलाई चर्या यति की। मेरा शत वंदन स्वीकारो गणिनी माता ज्ञानमति॥
आर्यिका चंदनामती
जम्बूद्वीप- हस्तिनापुर

Friday, January 15, 2010

जीव के भेद


जीव के दो भेद हैं - संसारी और मुक्त हम और आप संसारी जीव हैं, क्योंकि अनादी काल से संसार में घूम कर जन्म - मरण के दुक्ख उठा रहे हैं हम सभी प्राणियों के साथ आठों कर्म लगे हुए हैं, इसलिए हम संसारी हैंमनुष्य , देव नारकी और तिर्यंच ये सब संसारी जीव हैं जिन्होंने आठो कर्मों का नाश कर दिया है, जो संसार के दुक्खों से , जन्म- मरण के चक्कर से छूट गए हैं, जो संसार में कभी लौट कर वापस नहीं आवेंगे ,वे मुक्त जीव या सिद्ध परमात्मा कहलाते हैं यहाँ यह ध्यान देना है कि हम और आप भी संयम धारण करके क्रम परम्परा से मोक्ष प्राप्त कर सकते हैं सिद्ध बनने का उपाय समझने के लिए ही हम और आप जैन धर्म पढ़ते हैं
आर्यिका चंदनामती जम्बूद्वीप- हस्तिनापुर

Thursday, January 14, 2010

वंदना

जिस धरती पर शांति कुन्थु अर नाथ प्रभु ने जन्म लिया
तीर्थंकर की माता त्रय ने अपना जीवन धन्य किया
तीर्थ हस्तिनापुर की उस पावन धरती को वंदन है
गणिनी प्रमुख ज्ञानमति माता के पद में शत वंदन है
आर्यिका चंदनामती

Wednesday, January 13, 2010


मकर संक्रांति के अवसर पर मंगल आशीर्वाद
आर्यिका चंदनामती

Monday, January 11, 2010

णमो अरिहंताणं
णमो सिद्धाणं
णमो आयरियाणं
णमो उवज्झायाणं
णमो लोए सव्वसाहूणं

Wednesday, January 6, 2010

अमूल्य वचन


हस्तिनागपुर में हुए , श्री कुरुवंश ललाम नमूँ नमूँ नत शीश मैं, शांति कुन्थु अर नाम गणिनी ज्ञानमती

Monday, January 4, 2010

दिव्य वाणी


तीर्थंकर गुण रत्न को, गिनत न पावें पार।

तीन रत्न के हेतु मैं, नमूँ अनंतों बार॥

गणिनी ज्ञानमती

हस्तिनापुर

अमूल्य वचन


जो कुछ करना हो सो करलो ,सुकृत तरुण अवस्था में।

पैसा पास निरोगी काया ,इन्द्रिय ठीक व्यवस्था में॥

कर न सकोगे फिर तुम कुछ भी ,बल पौरुष थक जाने पर।

आग लगी कुटिया में फिर क्या होगा कुआ खुदाने पर॥

आर्यिका चंदनामती

जम्बूद्वीप - हस्तिनापुर

Friday, January 1, 2010

जम्बू द्वीप वंदना

स्वयं सिद्ध यह द्वीप है ,जम्बूद्वीप महान।
सब द्वीपों में है प्रथम , अनुपम रत्न निधान॥
गणिनी ज्ञानमती

अमूल्य वचन


नित्य निरंजन देव , परम हंस परमात्मा । तुम पद युग की सेव , करते ही सुख संपदा॥ १॥
नित्य निरंजन देव , अखिल अमंगल को हरे । नित्य करुँ मैं सेव , मेरे कर्मांजन हरें॥ २॥
गणिनी ज्ञानमती
जम्बूद्वीप- हस्तिनापुर