Monday, August 2, 2010

तीर्थंकर महामुनि महावीर का प्रथम आहार

महामुनि महावीर ने दीक्षा के बाद बेला के उपवास के पश्चात प्रथम आहार कूल नगर के राजा कूल के घर में लिया था , तब राजा कूल के घर में देवों ने पुष्प - रत्न आदि पंचाश्चर्यों की वर्षा की थी।
बंधुओं! यहाँ आपको ध्यान देना है कि तीर्थंकर जन्म लेने के बाद मनुष्य लोक का भोजन नहीं ग्रहण करते हैं, वे दीक्षा के बाद ही मनुष्यों के घर में नवधाभक्तिपूर्वक आहार लेते हैं ।
आर्यिका चंदनामती

महावीर भगवान् का दीक्षा कल्याणक

महानुभावों! भगवान् महावीर तीस वर्ष की आयु में वैराग्य भाव धारण कर कुण्डलपुर के मनोहर वन में जाकर दीक्षा धारण कर ली थी, वे शाल वृक्ष के ध्यानलीन हो गए । इन्द्र उनके समक्ष किंकर बन कर सदैव खड़ा रहता था।
आर्यिका चंदनामती

भगवान् महावीर बालब्रम्हचारी थे.

जब महावीर युवावस्था को प्राप्त हुए , उनके माता-पिता ने उनके विवाह करने हेतु अनेक सुंदर कन्याओं को देखा , जैसे ही महावीर को ज्ञात हुआ उन्होंने विवाह करने से मना कर दिया।
वे बालब्रम्ह्चारी रहे और तीस वर्ष की उम्र में जैनेश्वरी दीक्षा लेकर तपस्या करने लगे।
आर्यिका चंदनामती