महानुभावों ! जिस पुरुरवा भील ने मुनि के मुख से धर्म स्वीकार कर स्वर्ग को प्राप्त किया था, वही स्वर्ग से आकर अयोध्या के राजा भरत का पुत्र मरीचि कुमार हो गया। उसने अपने बाबा भगवान् रिषभ देव के साथ दीक्षा धारण कर ली , किन्तु वह भूख -प्यास से व्याकुल होकर पद से भ्रष्ट हो गया और मिथ्या तापसी बन कर उसने अनेक मिथ्या मतों का प्रचार किया। जिसके कारण वह बहुत समय तक संसार में दुक्ख उठाता रहा।
Aaryika Chandnamati
JAMBUDWEEP
पूज्य माताजी के चरणों में सादर वंदामी,
ReplyDeleteभगवान महावीर के पूर्व भवों की जानकारी देने के लिये हार्दिक धन्यवाद । इंटरनेट के माध्यम से हम नवयुवकों को नित नई नई जानकारी देते रहिएगा।
सुजश मारौरा
पूज्य माताजी को कोटि वंदन.
ReplyDeleteइस मद्ध्यम से हमारा आपसे संपर्क करने का अवसर मिला है, यह हमारा सौभाग्य है.जब भी मैंने आपकी प्रवचन सुना है या आपके लिखे हुए ग्रंथों को पढ़ा है मन को बहुत शांति मिली है. जम्बुद्वीप के बारे में जो ग्रन्थ आपने लिखा है, उससे मुझे त्रिलोक के बारे में बहुत कुछ सीखने को मिला. आपसे जैन धर्म और जैन तत्त्वों के बारे में और ज्यादा जानकारी मिलेगी तोह वोह हम सबका सौभाग्य होगा
जय जिनेन्द्र
कवना