skip to main  |
      skip to sidebar
          
        
          
        
 एक बार बालक वर्धमान अपने महल के बगीचे में मित्रों के साथ खेल रहे थे , तभी वहां पर एक सर्प आ गया। सभी बच्चे डर कर भागने लगे तब वर्धमान ने सर्प के फ़न पर चढ़ कर उसे पराजित कर दिया।            वह सर्प एक देवता था ,अतः उसने अपना रूप प्रगट करके उनका नाम महावीर रख दिया ।                                                         आर्यिका चंदनामती
एक बार बालक वर्धमान अपने महल के बगीचे में मित्रों के साथ खेल रहे थे , तभी वहां पर एक सर्प आ गया। सभी बच्चे डर कर भागने लगे तब वर्धमान ने सर्प के फ़न पर चढ़ कर उसे पराजित कर दिया।            वह सर्प एक देवता था ,अतः उसने अपना रूप प्रगट करके उनका नाम महावीर रख दिया ।                                                         आर्यिका चंदनामती
 
 
 
            
        
          
        
          
        
 भगवान् महावीर एक बार शिशु अवस्था में पालने में झूल रहे थे, तब आकाश मार्ग से दो चारण रिद्धिधारी मुनिराज उनके महल में पधारे और तीर्थंकर बालक को देखते ही उनकी शंका का समाधान हो गया अतः मुनिराज ने उनका नाम सन्मति रखा ।        इस प्रकार महावीर का सन्मति नाम पडा। वे सन्मति भगवान् हम सभी को सद्बुद्धि प्रदान करें।                                                   आर्यिका चंदनामती
 भगवान् महावीर एक बार शिशु अवस्था में पालने में झूल रहे थे, तब आकाश मार्ग से दो चारण रिद्धिधारी मुनिराज उनके महल में पधारे और तीर्थंकर बालक को देखते ही उनकी शंका का समाधान हो गया अतः मुनिराज ने उनका नाम सन्मति रखा ।        इस प्रकार महावीर का सन्मति नाम पडा। वे सन्मति भगवान् हम सभी को सद्बुद्धि प्रदान करें।                                                   आर्यिका चंदनामती