तीर्थंकर गुण रत्न को , गिनत न पावे पार ।
तीन रतन के हेतु मैं , नमूँ अनंतों बार ॥
भगवान् जिनेन्द्र की भक्ति सभी कार्यों की सिद्धि होती है ,अतः भक्ति करते हुए अपने मनुष्य जन्म को सार्थक करें यही मंगल आशीर्वाद है --गणिनी ज्ञानमती माताजी ,जम्बुद्वीप, हस्तिनापुर
Tuesday, October 20, 2009
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