महामुनि महावीर ने दीक्षा के बाद बेला के उपवास के पश्चात प्रथम आहार कूल नगर के राजा कूल के घर में लिया था , तब राजा कूल के घर में देवों ने पुष्प - रत्न आदि पंचाश्चर्यों की वर्षा की थी।
बंधुओं! यहाँ आपको ध्यान देना है कि तीर्थंकर जन्म लेने के बाद मनुष्य लोक का भोजन नहीं ग्रहण करते हैं, वे दीक्षा के बाद ही मनुष्यों के घर में नवधाभक्तिपूर्वक आहार लेते हैं ।
आर्यिका चंदनामती
Monday, August 2, 2010
महावीर भगवान् का दीक्षा कल्याणक
भगवान् महावीर बालब्रम्हचारी थे.
Monday, May 17, 2010
तीर्थंकर वर्धमान का महावीर नाम कैसे पडा?
Saturday, May 15, 2010
भगवान् महावीर का सन्मति नाम कैसे पडा?
भगवान् महावीर एक बार शिशु अवस्था में पालने में झूल रहे थे, तब आकाश मार्ग से दो चारण रिद्धिधारी मुनिराज उनके महल में पधारे और तीर्थंकर बालक को देखते ही उनकी शंका का समाधान हो गया अतः मुनिराज ने उनका नाम सन्मति रखा ।
इस प्रकार महावीर का सन्मति नाम पडा। वे सन्मति भगवान् हम सभी को सद्बुद्धि प्रदान करें।
आर्यिका चंदनामती
इस प्रकार महावीर का सन्मति नाम पडा। वे सन्मति भगवान् हम सभी को सद्बुद्धि प्रदान करें।
आर्यिका चंदनामती
Wednesday, April 21, 2010
भगवान् महावीर का जन्म कल्याणक
आप भगवान् महावीर का जीवन चरित्र पढ़ रहे हैं। इसमें जन्म कल्याणक का दृश्य दिखाया गया है,अर्थात जब महावीर का जन्म हुआ तो तीनों लोकों में शांति का वातावरण छा गया था।
कुण्डलपुर नगरी में महारानी त्रिशला के पवित्र गर्भ से जन्मे महावीर का जन्म कल्याणक महोत्सव मनाने के लिए स्वर्ग से सौधर्म इंद्र सम्पूर्ण देव परिवार को लेकर मध्य लोक में आ गए । जिन बालक को ऐरावत हाथी पर लेकर इंद्र राज सुमेरु पर्वत पर गए , वहां उन्होंने पांडुक शिला पर उनका क्षीरोदधि के जल से जन्माभिषेक किया। पुनः उनके वीर और वर्धमान ये दो नाम रक्खे।
आर्यिका चंदनामती
Saturday, April 17, 2010
माता त्रिशला के सोलह स्वप्न
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