Thursday, October 22, 2009

चतुर्मुखी ब्रम्हा तुम्ही ,ज्ञान व्याप्त जग विष्णु ।
देवों के भी देव हो ,महादेव अरि जिष्णु ॥
गणिनी ज्ञानमती माताजी

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