जिनके उर में कल कल बहती , गंगा की निर्मल धारा ।
                      त्याग और शुभ ज्ञानमणि से , जिनने निज को श्रंगारा ॥
                     वचनों के मोती बिखरातीं ,युग की पहली बाल सती ।
                     मेरा शत वंदन स्वीकारो , गणिनी माता ज्ञानमती ॥
                                                                                      ----आर्यिका चंदनामती ,
                                                                               जम्बूद्वीप -हस्तिनापुर -भारत
Thursday, October 22, 2009
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