प्रभु गुण सूत्र पिरोय स्रज, विविध वर्ण मय फूल।
धरें कंठ उन ज्ञानमति,लक्ष्मी हों अनुकूल॥ १॥
गणिनी ज्ञानमती माताजी
जम्बूद्वीप- हस्तिनापुर
Friday, November 13, 2009
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