तीर्थंकर गुण रत्न को, गिनत न पावें पार।
तीन रत्न के हेतु मैं , नमूँ अनंतों बार॥ १॥
गणिनी ज्ञानमती माताजी
हस्तिनापुर -मेरठ ,उत्तर प्रदेश -भारत
Thursday, November 12, 2009
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