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महानुभावों ! आपने महावीर भगवान् के दो भावों के बारे में जाना है । आगे वह मिथ्यात्व के कारण नरक आदि गतियों के दुक्ख उठाते हुए संसार में भ्रमण करता रहा। इससे शिक्षा लेना है कि मरीचि कुमार के सामान मिथ्यात्व में हमें नहीं पड़ना है , क्योंकि मिथ्यात्व सबसे बड़ा दुश्मन होता है। आर्यिका चंदनामती जम्बूद्वीप- हस्तिनापुर
महानुभावों ! जिस पुरुरवा भील ने मुनि के मुख से धर्म स्वीकार कर स्वर्ग को प्राप्त किया था, वही स्वर्ग से आकर अयोध्या के राजा भरत का पुत्र मरीचि कुमार हो गया। उसने अपने बाबा भगवान् रिषभ देव के साथ दीक्षा धारण कर ली , किन्तु वह भूख -प्यास से व्याकुल होकर पद से भ्रष्ट हो गया और मिथ्या तापसी बन कर उसने अनेक मिथ्या मतों का प्रचार किया। जिसके कारण वह बहुत समय तक संसार में दुक्ख उठाता रहा। Aaryika Chandnamati
JAMBUDWEEP
एक पुरुरवा नाम का भील जंगल में एक मुनि पर तीर चलाने जा रहा था ,उसकी स्त्री उसे मुनि पर तीर चलाने से रोका । पुनः भील ने मुनि के पास जाकर अहिंसा धर्म का उपदेश सुना और उसे जीवन में धारण किया । इसके फलस्वरूप वह आगे जाकर महावीर भगवान् बना । इस कहानी से शिक्षा ग्रहण करना है कि अपने जीवन को आदर्ष बनाने हेतु अहिंसा धर्म को अवश्य धारण करना चाहिए । आर्यिका चंदनामती जम्बूद्वीप- हस्तिनापुर
ब्राम्ही चंदनबाला जैसी छवि जिनमें दिखती रहती । कुंद कुंद गुरुवर सम जिनकी सतत लेखनी है चलती॥ नारी ने भी नर के सदृश बतलाई चर्या यति की। मेरा शत वंदन स्वीकारो गणिनी माता ज्ञानमति॥ आर्यिका चंदनामती जम्बूद्वीप- हस्तिनापुर
जीव के दो भेद हैं - संसारी और मुक्त । हम और आप संसारी जीव हैं, क्योंकि अनादी काल से संसार में घूम कर जन्म - मरण के दुक्ख उठा रहे हैं। हम सभी प्राणियों के साथ आठों कर्म लगे हुए हैं, इसलिए हम संसारी हैं। मनुष्य , देव नारकी और तिर्यंच ये सब संसारी जीव हैं। जिन्होंने आठो कर्मों का नाश कर दिया है, जो संसार के दुक्खों से , जन्म- मरण के चक्कर से छूट गए हैं, जो संसार में कभी लौट कर वापस नहीं आवेंगे ,वे मुक्त जीव या सिद्ध परमात्मा कहलाते हैं। यहाँ यह ध्यान देना है कि हम और आप भी संयम धारण करके क्रम परम्परा से मोक्ष प्राप्त कर सकते हैं। सिद्ध बनने का उपाय समझने के लिए ही हम और आप जैन धर्म पढ़ते हैं। आर्यिका चंदनामती जम्बूद्वीप- हस्तिनापुर
जिस धरती पर शांति कुन्थु अर नाथ प्रभु ने जन्म लिया। तीर्थंकर की माता त्रय ने अपना जीवन धन्य किया॥ तीर्थ हस्तिनापुर की उस पावन धरती को वंदन है। गणिनी प्रमुख ज्ञानमति माता के पद में शत वंदन है॥ आर्यिका चंदनामती
मकर संक्रांति के अवसर पर मंगल आशीर्वाद आर्यिका चंदनामती