
जीव के दो भेद हैं - संसारी और मुक्त । हम और आप संसारी जीव हैं, क्योंकि अनादी काल से संसार में घूम कर जन्म - मरण के दुक्ख उठा रहे हैं। हम सभी प्राणियों के साथ आठों कर्म लगे हुए हैं, इसलिए हम संसारी हैं। मनुष्य , देव नारकी और तिर्यंच ये सब संसारी जीव हैं। जिन्होंने आठो कर्मों का नाश कर दिया है, जो संसार के दुक्खों से , जन्म- मरण के चक्कर से छूट गए हैं, जो संसार में कभी लौट कर वापस नहीं आवेंगे ,वे मुक्त जीव या सिद्ध परमात्मा कहलाते हैं। यहाँ यह ध्यान देना है कि हम और आप भी संयम धारण करके क्रम परम्परा से मोक्ष प्राप्त कर सकते हैं। सिद्ध बनने का उपाय समझने के लिए ही हम और आप जैन धर्म पढ़ते हैं।
आर्यिका चंदनामती जम्बूद्वीप- हस्तिनापुर
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