महानुभावों! आप भगवान् महावीर के पूर्व भवों के बारे में जाना है कि उन्होंने कैसे अपने जीवन का उत्थान किया, महावीर बनने से द्वितीय भव पूर्व सोलहवें स्वर्ग में अच्युतेंद्र थे। वहां देवांगनाओं के साथ सुख भोगते वे कभी-कभी मध्यलोक में भगवान् के समवसरण में दर्शन करने भी जाया करते थे।
समवसरण में भगवान् की दिव्यध्वनी सुन कर तत्त्व चिंतन करते हुए वहां अपना समय व्यतीत करते थे। आगे चल कर वे भगवान् महावीर की पर्याय में आने वाले हैं, अतः आप अगले ब्लॉग में उनका जीवन चरित्र पढेंगे।
आर्यिकाचंदनामती
Tuesday, April 6, 2010
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