वह देव स्वर्ग से च्युत होकर मध्य लोक में आकर राजा नन्दिवर्धन के पुत्र नंदन हुए । वहां मुनि से दीक्षा लेकर खूब ज्ञानाराधना की पुनः अंग - पूर्वों का ज्ञान प्राप्त करके सोलह्कारण भावना भाई और तीर्थंकर प्रकृति का बन्ध करके अंत में समाधि मरण के द्वारा स्वर्ग में अह्मिन्द्र पद प्राप्त किया।
आर्यिका चंदनामती
Saturday, March 27, 2010
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