महानुभावों ! जिस पुरुरवा भील ने मुनि के मुख से धर्म स्वीकार कर स्वर्ग को प्राप्त किया था, वही स्वर्ग से आकर अयोध्या के राजा भरत का पुत्र मरीचि कुमार हो गया। उसने अपने बाबा भगवान् रिषभ देव के साथ दीक्षा धारण कर ली , किन्तु वह भूख -प्यास से व्याकुल होकर पद से भ्रष्ट हो गया और मिथ्या तापसी बन कर उसने अनेक मिथ्या मतों का प्रचार किया। जिसके कारण वह बहुत समय तक संसार में दुक्ख उठाता रहा। Aaryika Chandnamati JAMBUDWEEP
ब्राम्ही चंदनबाला जैसी छवि जिनमें दिखती रहती । कुंद कुंद गुरुवर सम जिनकी सतत लेखनी है चलती॥ नारी ने भी नर के सदृश बतलाई चर्या यति की। मेरा शत वंदन स्वीकारो गणिनी माता ज्ञानमति॥ आर्यिका चंदनामती जम्बूद्वीप- हस्तिनापुर