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Jai Gyanmati
Monday, January 4, 2010
दिव्य वाणी
तीर्थंकर गुण रत्न को, गिनत न पावें पार।
तीन रत्न के हेतु मैं, नमूँ अनंतों बार॥
गणिनी ज्ञानमती
हस्तिनापुर
1 comment:
Anonymous
January 12, 2010 at 7:39 AM
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