महानुभावों! आपने भगवान् महावीर के पिछले चार भवों के बारे में जाना है। पांचवे भव में वह स्वर्ग में देवता होगए , वहां वे दिव्य सुखों का उपभोग करते हुए अपना जीवन व्यतीत करने लगे।
देखो! एक बार मुनि के संबोधन को पाकर सिंह जैसे क्रूर पशु ने भी अपना जीवन सुधार लिया, तो आप मनुष्य पर्याय से अपना हित करने की प्रेरणा अवश्य प्राप्त करें।
आर्यिका चंदनामती
Sunday, March 14, 2010
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