भगवान् महावीर ने धीरे - धीरे अपने जीवन में प्रगति करते हुए आठवें भव में
स्वर्ग में जन्म धारण करके देव बन गए , वहां दिव्य सुखों का अनुभव करके अकृत्रिम जिन मंदिरों के दर्शन करते हुए प्रतिमाओं की पूजा में अपने जीवन को व्यतीत करने लगा।
आर्यिका चंदनामती
Friday, March 19, 2010
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