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Jai Gyanmati
Saturday, March 20, 2010
सातवें भव पूर्व भगवान् महावीर!
राजा हरिषेण की पर्याय में उन्होंने श्रुत सागर मुनि के पास जाकर जैनेश्वरी दीक्षा धारण कर सल्लेखना मरण पुर्वक शरीर का त्याग किया और स्वर्ग में देव हो गए।
इससे शिक्षा ग्रहण करना है कि मनुष्य गति पाकर संयम अवश्य पालन करना चाहिए।
आर्यिका चंदनामती
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