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Jai Gyanmati
Sunday, March 21, 2010
छठे भव पूर्व भगवान् महावीर !
स्वर्ग के सुखों का अनुभव करते हुए भगवान् महावीर के जीव ने वहां जिनेन्द्र भगवान् की खूब भक्ति की, और असीम पुण्य का संचय करते रहे।
यह पुण्यात्माओं का जीवन हम सब के लिए अनुकरणीय रहता है ।
आर्यिका चंदनामती
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